Sunday, June 24, 2012
Calander
अंधेरे में
मुक्तिबोध की कालजयी कविता 'अंधेरे में' के प्रकाशन का यह पचासवाँ वर्ष है। इस आधी सदी में हमने अपने लोकतंत्र में इस कविता को क्रमशः...
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राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के द्वितीय वर्ष के छात्रों द्वारा प्रस्तुत "1084 की माँ" को देखने के लिए जब मैं अभिमंच सभागार में पहुँच स...
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हम सब बंदी हैं. हाँ, हममे से कुछ झरोखेयुक्त कारागृहों में बंद हैं और कुछ बिना झरोखे वाले कारागृहों में.
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संसाधनों का आभाव कभी भी रचनात्मकता के आड़े नहीं आ सकता. रंगमच में ऐसे जुझारूपन एवं कर्मठता के उदाहरण बहुत हैं, पर फिल्म निर्माण में इसे दु...